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प्रीत को तरसी चातक सी,कई बरस की प्यास। साँझ सबेरे

प्रीत को तरसी चातक सी,कई बरस की प्यास।
साँझ सबेरे कृष्ण चरण की करती हूँ अरदास।।

©ऋतुराज पपनै #Meerabai
प्रीत को तरसी चातक सी,कई बरस की प्यास।
साँझ सबेरे कृष्ण चरण की करती हूँ अरदास।।

©ऋतुराज पपनै #Meerabai