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लम्हा-लम्हा जीने की कोशिश की मैंने, टूटे ख्वाबों क

लम्हा-लम्हा जीने की कोशिश की मैंने,
टूटे ख्वाबों को सजाने की कोशिश की मैंने।
जो खो गया था ज़र्रे-ज़र्रे में कहीं,
उसे फिर से पाने की कोशिश की मैंने।

बिखरे तिनकों को संभालकर जोड़ा,
हर हंसी को लौटाने की कोशिश की मैंने।
पल-पल में छुपी हर खुशी को महसूस कर,
मुस्कुराहटें जगाने की कोशिश की मैंने।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Mountains 
लम्हा-लम्हा जीने की कोशिश की मैंने,
टूटे ख्वाबों को सजाने की कोशिश की मैंने।
जो खो गया था ज़र्रे-ज़र्रे में कहीं,
उसे फिर से पाने की कोशिश की मैंने।

बिखरे तिनकों को संभालकर जोड़ा,
हर हंसी को लौटाने की कोशिश की मैंने।
लम्हा-लम्हा जीने की कोशिश की मैंने,
टूटे ख्वाबों को सजाने की कोशिश की मैंने।
जो खो गया था ज़र्रे-ज़र्रे में कहीं,
उसे फिर से पाने की कोशिश की मैंने।

बिखरे तिनकों को संभालकर जोड़ा,
हर हंसी को लौटाने की कोशिश की मैंने।
पल-पल में छुपी हर खुशी को महसूस कर,
मुस्कुराहटें जगाने की कोशिश की मैंने।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Mountains 
लम्हा-लम्हा जीने की कोशिश की मैंने,
टूटे ख्वाबों को सजाने की कोशिश की मैंने।
जो खो गया था ज़र्रे-ज़र्रे में कहीं,
उसे फिर से पाने की कोशिश की मैंने।

बिखरे तिनकों को संभालकर जोड़ा,
हर हंसी को लौटाने की कोशिश की मैंने।