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जीवन रणक्षेत्र है, रण बांकुरा बन निडर लड़ना तुझे ह

जीवन रणक्षेत्र है, रण बांकुरा बन निडर लड़ना तुझे है,
गंतव्य पथ पर शूल होंगे, अगणित दंश देने सर्प होंगे,
काल भी विकराल होंगे, चहूँ ओर लगाए घात होंगे,
नियति का निर्दिष्ट है,  स्वीकार कर बढ़ना तुझे है।

ले सूर्य का सा तेज बढ़, ले वायु का संवेग बढ़, 
बन महोदधि सा स्थिर कभी तो , ले धरा का धीर बढ़,
हो सरल अविरल नदी सा,कर  स्वयं का पथ प्रशस्त बढ़, 
संघर्ष भी आदेश है, स्वीकार कर बढ़ना तुझे है।

                                     - दिवाकर त्रिपाठी #निडर
जीवन रणक्षेत्र है, रण बांकुरा बन निडर लड़ना तुझे है,
गंतव्य पथ पर शूल होंगे, अगणित दंश देने सर्प होंगे,
काल भी विकराल होंगे, चहूँ ओर लगाए घात होंगे,
नियति का निर्दिष्ट है,  स्वीकार कर बढ़ना तुझे है।

ले सूर्य का सा तेज बढ़, ले वायु का संवेग बढ़, 
बन महोदधि सा स्थिर कभी तो , ले धरा का धीर बढ़,
हो सरल अविरल नदी सा,कर  स्वयं का पथ प्रशस्त बढ़, 
संघर्ष भी आदेश है, स्वीकार कर बढ़ना तुझे है।

                                     - दिवाकर त्रिपाठी #निडर