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एहसास तेरे सारे मैं सुन लेता हूं तड़प उठती है, ग़ज़ल

एहसास तेरे सारे मैं सुन लेता हूं
तड़प उठती है, ग़ज़ल बुन लेता हुँ
बेज़ुबानों की ज़ुबान समझता हूं
फूल छोड़ कर कांटे चुन लेता हूं
अर्श पे जा कर गुमां नही करता
मिट्टी बुलाती है तो सुन लेता हूं
तासीर में मेरी हुनर ही बहुत है
नीम के पत्तो से रेशम बुन लेता हूं 
ग़ालिब,मीर की शायरी है सागर जैसी
डूबता हूँ तो कुछ मोती चुन लेता हूं
मां के गुस्से में प्यार पहचानता हूं
वो जब डांटती है तो सुन लेता हूँ
     #yqdidi #bestyqhindiquotes #ग़ज़ल #life #रेशम #writersofinstagram #hindipoetry #vishalvaid
एहसास तेरे सारे मैं सुन लेता हूं
तड़प उठती है, ग़ज़ल बुन लेता हुँ
बेज़ुबानों की ज़ुबान समझता हूं
फूल छोड़ कर कांटे चुन लेता हूं
अर्श पे जा कर गुमां नही करता
मिट्टी बुलाती है तो सुन लेता हूं
तासीर में मेरी हुनर ही बहुत है
नीम के पत्तो से रेशम बुन लेता हूं 
ग़ालिब,मीर की शायरी है सागर जैसी
डूबता हूँ तो कुछ मोती चुन लेता हूं
मां के गुस्से में प्यार पहचानता हूं
वो जब डांटती है तो सुन लेता हूँ
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vishalvaid9376

Vishal Vaid

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