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आत्मानं सर्वभूतेषु यो ह्यत्मानं जनार्दनः। इयं योगः

आत्मानं सर्वभूतेषु यो ह्यत्मानं जनार्दनः।
इयं योगः प्रोक्तः पुरातनः॥

अर्थ: हे जनार्दन! जो व्यक्ति सब भूतों में अपने आप को देखता है, वही पुरातन योग कहलाता है॥

यह श्लोक भगवद्गीता में उपस्थित है और इसका अर्थ है कि जो व्यक्ति सभी प्राणियों में अपने इष्ट को देखता है, वही वास्तविक योगी है और यह योग बहुत पुराना है। इस श्लोक द्वारा जीवन का सार यह बताया जा रहा है कि हमें सभी प्राणियों में परमेश्वर को ही देखना चाहिए और सभी में आत्मा की एकता को समझना चाहिए।

©YumRaaj YumPuri Wala
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