राजनीति के चौसर पर ख़तम हो गया खेल जिसका जैसा कर्म था हुआ पास और फेल पर शब्दों की गरिमाकी धज्जी उड़ी गगन पे अब तो अपनी जिह्वा पर मल लो मीठे तेल …. सतीश मापतपुरी ©Satish Mapatpuri चौसर