आदमी क्यों अकेला है। भीड़ में रह भी गुमसुम सा बैठा है चारो तरफ है भीड़ फिर भी तन्हा अकेला है। बहुत से रिश्ते जुड़ते चले गए बहुत पीछे छूटते चले गए। जब मुट्ठी बंद की तो फिसलती रेत सी छूटी जिंदगी, रिश्ते नाते, सब छूटते चले गए। आदमी खुद में जी रहा इसलिए तन्हा अकेला है। सोचते सब है मुकाम हासिल किया फिर भी सूनेपन का रेला है। आदमी इसलिए, हां इसलिए अकेला है। भीड़ है हर तरफ़ ही मेला है... आदमी फिर क्यों अकेला है? #आदमीअकेलाहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi