तन वारूँ, मन वारूँ, वार दूँ, मैं सारा जहान सुन्दर मन कोमल तन, सुकून का हो मकान निंदिया आए, आँचल मेें 'लाड़ली' सो जाए जागती रहूँ मैं, तू सुकून का संसार हो जाए शांत ह्रदय की धड़कन, तेरे प्रेम का शोर हो सुकून की शाम संग तेरे मुस्कान की भोर हो आरज़ू..... जो चाहे बिटिया मेरी वो पा जाए महके सुमन सी, नूतन शिखर वो छू जाए पाया तुम्हें, ना चाहत अब मेरी जवा रहीं है परम सुख तुम से, प्रेम की बहती हवा रही है हौले हौले सो जाती हूँ सपनो में खो जाती हूँ दर्शन तुम मेें प्रभु के, सुखमय मैं हो जाती हूँ आशीष दूँ, नज़र मैं तेरी आज यूँ उतार दूँ जिव्हा पर हो दुआ, यूँ स्वर्ग ज़मी पे उतार दूँ कामयाबी की तू मिसाल हो, तू बेमिसाल हो सत्य, धर्म, दया हो संग, यही मैं तुम्हें सार दूँ पग पग संघर्ष होगा, रास्ता ना ये सरल होगा रंज ना रख किसी से, 'सुकर्म' का फल होगा अंतिम क्षण तू सामने रहना मेरा 'रब' बनकर तुम्हें देखकर ही मेरा अंतिम क्षण सुखद होगा 🌺 लेखन संगी 🌺 आ छुपा लूंँ तुझे आंँचल में नन्हीं मेरी, लोरियों में अपनी तुझे जी भर प्यार दूंँ! तू सो जाए सुकून की नींद लाडली, तुझ पर मैं अपनी निंदिया वार दूंँ! स्नेह डोर तेरी मेरी बंँधी है कुछ ऐसे,