चूम के माटी भारत की हमको तलवार उठानी है स्वयमेव संघर्ष करो गर माँ बहनो की लाज बचानी है, मेवाड़ जला चित्तौड़ जला,जल गए प्रशन था आन का ! बन के राख हो गए अमर ना घूँट भरा अपमान का आ जाये अगर तो याद करो ,राजा ने प्रथा को रोका था, जाने कितनी माँ बहनो को ज़िंदा जल जाने से रोका था क्यों आज भी जलती है बहने जब भाई अभी भी जिंदा है होती है बेज़ार सरेआम ,और हम तुम बस शर्मिन्दा है! कहते है महाभारत में वो काला दिन भी आया था जब चीर हरण में कृष्णा ने पांचाली का परिधान बढ़ाया था! तब एक दुशासन था जग में अपनी कुदृष्टि लिए हुए है आज दुशासन हर घर में सारी सृष्टि पर छिपे हुए, उठकर देखो महसूस करो कुछ हवा गलत सी बहती है संकट आने को है तुम पर साँसों में घुल कर कहती है एहसास नही आभास करो गद्दारो पर आघात करो कब तक सहते रहोगे ये सब अब तुम भी प्रतिघात करो!!!!!!! ©कपिल मेरी कलम से।।।।