अंधेरे से मिलना तो सौगात लेकर, उजाले का तोहफ़ा मुलाकात लेकर, किसी का बने दिन कोई हो न बेबस, बिना बात के भी कोई बात लेकर, सजे स्वप्न में भी ख़ुशी चाँदनी की, मिलना मिलाना हो जज़्बात लेकर, अगर कोई टूटा हुआ दिल मिले तो, दिलासे से भर देना बरसात लेकर, ज़ुदाई की पीड़ा भी पहचान लेना, मधुमास आता है शुरुआत लेकर, कभी हार से मत परेशान होना, बदलेगी क़िस्मत शह-मात लेकर, 'गुंजन' भरोसे का है खेल सारा, हुआ है करिश्मा अकस्मात लेकर, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #उजाले का तोहफ़ा#