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कि यह दौलत और यह शोहरत, सिर्फ इंसान के शौक बदलता

कि यह दौलत और यह शोहरत, 
सिर्फ इंसान के शौक बदलता है।
परम सुख भी, उसे ही मिलता है,
जो चरम दुख से निकलता है।
भोजन सभी करते हैं जमाने में,
खाने का मजा भूखे को मिलता है।
चमकता है वही इस जमाने में,
जो संघर्ष की आग में जलता है।
नियत भी साफ रखना ऐ दोस्त,
अच्छा वक्त भी बेशक बदलता है।
बात इतनी सी है, आग में पिघलता है,
तब जाके सोना, सांचे में ढलता है।
कि वक्त की भी अपनी साख है यारो,
वक्त, वक्त पे अक्सर वक्त बदलता है।

©Diwan G
  #वक्त #साख