निश्चय किया है उन्होंने, कि तिरंगा हम ही फहरायेगे, दुश्मनों को नर्क के द्वार पर, हम स्वयंम पहुंचायेंगे। रणक्षेत्र में सभी बड़ी शान से विजय के झंडे गाड़ रहे है, दुश्मनों के सीने को चीर, वो शेर की तरह दहाड़ रहे है। न्यौछावर कर अपने प्राण, वो देश को महका रहे हैं, तिरंगे के साथ बहती हवाओं मे, वो कहकहा रहे हैं। देश की माटी का कर्ज तो बस संग्रामी ही चुका रहे है, सभी योद्धा तिरंगे में लिपट कर घर वापस आ रहे है। देश की नींव का पत्थर बनके वो हमेशा कुछ सीखाते रहे हैं, देवदूत बन हमेशा देश को दुश्मनों से लड़कर बचाते रहे हैं। -------------------------आनन्द ©आनन्द #आनन्द_गाजियाबादी #Anand_Ghaziabadi #रण #युद्ध