बचपन में जब दूरदर्शन पे कोई धारावाहिक आता था तो पूरा परिवार साथ बैठ कर देखता था। कभी कभी तो पूरा मोहल्ला। खासकर रविवार की रंगोली और जय श्री कृष्णा जैसे धार्मिक धारावाहिक। इन सारे धारावाहिकों में कई बार ऐसा दिखाया जाता था कि गंधर्व स्त्रियाँ या पुरुष या देवी देवता एक दूसरे की आँखों में लगातार देखते रहते थे और बच्चा पैदा हो जाता था। कोई सत्तर के दशक में पैदा हुआ इंसान ज्यादा अच्छे से याद करके बता सकता है लेकिन नब्बे के दशक में पैदा होने के बावजूद मुझे आज भी याद हैं ऐसे सीन्स भी। यकीन मानिए, मुझे तब भी बचपन में ये सब अजीब लगता था। मैं अगल बगल झाँक कर अपने से एक दो साल बड़े भाई बहनों को देखती, मोहल्लों के बड़े लोगों को और अपने माता पिता लोगों को। किसी के चेहरे पे मेरे जैसा आश्चर्य नहीं दिखाई देता था। लेकिन फिर भी मुझे यकीन नहीं आता था। कि कैसे एक दूसरे को देखने से बच्चे पैदा हो सकते हैं? आज जब सोचती हूँ तो हँसी आती है ऐसी क्रिएटिविटी या ऐसी अंध धार्मिकता पे जो ठीक प्रकार से चरित्र का चित्रण तक ना कर सके। 😊☺ #YQbaba #YQdidi #Good #Old #Days #Doordarshan