#कुण्डलिया छंद# ====================== कितनी भी ऊँची रहे,किसी व्यक्ति की साख। रह जाना है एक दिन, मुट्ठीभर ही राख।। मुट्ठी भर ही राख, बनेगी नश्वर काया। साथ रहेंगे कर्म, यहीं रह जानी माया।। धन-दौलत या शक्ति, जोड़ लो चाहे जितनी। हश्र सभी का एक, भले हो दौलत कितनी।। #हरिओम श्रीवास्तव# भोपाल,म.प्र. ©Hariom Shrivastava #MahaKumbh2021