धुंधले रास्तों में अब कहां ढूंढ पाऊंगा मैं तुम्हें , बोहोत दूर निकल गई हो , कैसे वापस पाऊंगा मै तुम्हें, खतावार हम दोनों नहीं थे , वक़्त - बेवक्त की बातें थीं , पर तुम ही बताओ अब कैसे वापस पाऊंगा मैं तुम्हें !! दरमियान है फासले बोहोत , पर जो तुम एक आवाज़ दो , तो इस भीड़ में भी मैं , ढूंढता चला आऊंगा तुम्हें !! " मिटते बिंब "