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धुंधले रास्तों में अब कहां ढूंढ पाऊंगा मैं तुम्हें

धुंधले रास्तों में अब कहां ढूंढ पाऊंगा मैं तुम्हें , 
बोहोत दूर निकल गई हो , 
कैसे वापस पाऊंगा मै तुम्हें,
खतावार हम दोनों नहीं थे ,
 वक़्त - बेवक्त की बातें थीं ,
पर 
   तुम ही बताओ अब  कैसे 
   वापस पाऊंगा मैं तुम्हें  !! 
  दरमियान है  फासले बोहोत ,
पर जो तुम  एक आवाज़ दो , तो 
इस भीड़ में भी मैं ,
ढूंढता चला आऊंगा तुम्हें  !! " मिटते बिंब "
धुंधले रास्तों में अब कहां ढूंढ पाऊंगा मैं तुम्हें , 
बोहोत दूर निकल गई हो , 
कैसे वापस पाऊंगा मै तुम्हें,
खतावार हम दोनों नहीं थे ,
 वक़्त - बेवक्त की बातें थीं ,
पर 
   तुम ही बताओ अब  कैसे 
   वापस पाऊंगा मैं तुम्हें  !! 
  दरमियान है  फासले बोहोत ,
पर जो तुम  एक आवाज़ दो , तो 
इस भीड़ में भी मैं ,
ढूंढता चला आऊंगा तुम्हें  !! " मिटते बिंब "

" मिटते बिंब " #poem