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काश मुस्कुराहटों का भी कोई मौसम होता जी भर मुस्कुर

काश मुस्कुराहटों का भी कोई मौसम होता
जी भर मुस्कुराते लोग दर्द कुछ कम होता 
कितना इंतजार होता उस मौसम का भला 
बदनसीब दिलों में भी न कोई गम होता
काश मुस्कुराहटों........
बहुत घुटन है वैसे तो व्यवहारिक जीवन में
बागों में हरियाली होती बसंती चमन होता
एक दूसरे से बहुत खार खाए हुए हैं लोग
और शायरों के हाथ में कागज़ कलम होता
काश मुस्कुराहटों........
दिल उछलता बल्लियों धड़कनें गुनगुनाती
यौवन पे चांदनी औ तारों से भरा गगन होता
मंद मंद चलती बयारें झूमते लोग मस्ती में
मृदंग के थाप पर आत्म मुग्ध "सूर्य" मन होता
काश मुस्कुराहटों........

©R K Mishra " सूर्य "
  #काश#मुस्कुराहटों  Rama Goswami अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन कुछ तो लोग कहेँगे Kanchan Pathak