संतुलित आहार से सेहत सुधरती है, संतुलन पर ही टिकी संपूर्ण धरती है, चाहतों का सिलसिला कैसे बढ़े आगे, हकीक़त देखे बिना तबियत बिगड़ती है, जरूरत से जुड़े रिश्ते टिके चाहत से, प्रेम की पगडंडियाँ दिल से गुजरती है, साफ रखना आचरण गोया ज़रूरी है, आईना सच ही दिखाए यह कुदरती है, सियासत का देखलो बदरंग सा चेहरा, झूठ का मुद्दा बनाकर के अकड़ती है, भूल जाता है मनुज करतूत भी अपनी, परेशानी में फक़त साँसें उखड़ती है, वक़्त के रहते ठिकाना ढूँढ लो 'गुंजन', मोह-माया अंत में सबको जकड़ती है, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #सेहत सुधरती है#