तू चल अपनी रफ़्तार से ऐ ज़िन्दगी, इन दुखते पैरों को थोड़ी राहत दे दे, तू बदल अपने रुख, अपनी तबीयत, मुझे कुछ पल बस "मैं" होने की इजाज़त दे दे। याद नहीं आता मुझे मेरा ही चेहरा, किरदारों के साथ हर बार बदल जाता है, थक गयी हूँ मैं मुखौटों के साथ बदलते-बदलते, थोड़ी देर इन किरदारों से निकलने की मोहलत दे दे। तू चल अपनी रफ़्तार से ऐ ज़िन्दगी, इन दुखते पैरों को थोड़ी राहत दे दे, तू बदल अपने रुख, अपनी तबीयत, मुझे कुछ पल बस "मैं" होने की इजाज़त दे दे। याद नहीं आता मुझे मेरा ही चेहरा, किरदारों के साथ हर बार बदल जाता है, थक गयी हूँ मैं मुखौटों के साथ बदलते-बदलते,