वो उस पल को मचलती है जब भी बरसात होती है वह मिलने को तरसती है जब भी बरसात होती है मुझे जब याद आती हैं मोहब्बत की वो बरसातें ये आंखें भी बरसती हैं जब भी बरसात होती है कवि समीर शान्डिल्य 9455568837 9999141287 #gif