सुनो..... मैंने तुम्हारी केवल उम्मीद छोड़ी है..... तुमसे मोहब्बत नहीं.. दौर मुलाक़ातों का शुरू कर लें क्या फिर से......जान पहचान भी तो नहीं छोड़ी....@मेखला नीरज