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मुझे मांलूम नहीं था. कि वो कस्तूरी की सुगंध मेरी

मुझे  मांलूम  नहीं था. कि
वो कस्तूरी की सुगंध
मेरी हीं नाभि मे पल रही थी
और मै व्यर्थ  मे उस
सुगंधकी खोज मे
जंगल और बस्ती
की  खाक छान रहा था

©Parasram Arora
  कस्तूरी  ( सुख (

कस्तूरी ( सुख ( #कविता

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