कठिन बहुत है काम ये पर मेरे लिए कर सकती हो साड़ी पहनकर इस बार मुझसे दशहरे में मिल सकती हो मैं पहनूँगा पीला कुर्ता तुम लाल साड़ी में आना होगा कैसा मिलन हमारा ये तुम मुझको बतलाना दो भृकुटि के बीच में तुम छोटा सा तिलक लगाना मैं बन जाऊँगा पुरुरवा तुम मेरी "उवर्शी" बन जाना नियत समय पर हे प्रिय, तुम मुझे दिख जाना लज्जा के मारे तुम मुझसे लुक-छिप नैन-मिलना अधर रहेंगे चुप परन्तु मन ही मन बतियाना होगा कोई सही समय मैं सम्मुख आऊँगा वृहद हृदय में झलक तुम्हारी की प्रतिलिपि ले जाऊँगा ©Gourav (iamkumargourav) कठिन बहुत है काम ये पर मेरे लिए कर सकती हो साड़ी पहनकर इस बार मुझसे दशहरे में मिल सकती हो मैं पहनूँगा पीला कुर्ता तुम लाल साड़ी में आना होगा कैसा मिलन हमारा ये तुम मुझको बतलाना