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चिल्लाने से नहीं पड़ा खलल, महलों के बंद किवाड़ों पर

चिल्लाने से नहीं पड़ा खलल,
महलों के बंद किवाड़ों पर अब मूसल बरसाने होंगे।

कौन तुम्हें अधिकार उपहार में देगा,
ये ऐसा लोकतंत्र है हमको भाले बरसाने होंगे।




अमर शहीद राज्य आंदोलनकारी यशोधर बेंजवाल 
की पंक्तियां बेरोजगारों को समर्पित। #लोकतंत्र
चिल्लाने से नहीं पड़ा खलल,
महलों के बंद किवाड़ों पर अब मूसल बरसाने होंगे।

कौन तुम्हें अधिकार उपहार में देगा,
ये ऐसा लोकतंत्र है हमको भाले बरसाने होंगे।




अमर शहीद राज्य आंदोलनकारी यशोधर बेंजवाल 
की पंक्तियां बेरोजगारों को समर्पित। #लोकतंत्र