बेफिक्रा मैं इन तन्हाइयों में अकेला घूमता फिर रहा जैसे कुछ छूट गया उसे ढूंढता फिर रहा कितने वक्त हो गए खुद से मिले हुए थोड़ा समय मिल जाए ये सोचता फिर रहा है वो सुहाने दिन ,वो हसीं शाम, वो मचलती रातें कहीं गुम हो गए है, हैं कहां इसका पता पूछता फिर रहा वो खुशनुमा साथ जो रुठ के चला गया हर रोज उसे बस मानता फिर रहा । ©Vibhaw Mishra #Nightlight #ढूंढता