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जुल्फ़े गिरे रुख़सार पर, अँधेरा करने वाली हैं

जुल्फ़े  गिरे रुख़सार  पर,  अँधेरा  करने वाली हैं
तुमने चाल  मयूरी  सी, कभी नागिन  सी पाली है!
 
ज़ुल्म  करो, ज़ख्म  दो, या  सताओ  हर लम्हा तुम
लुत्फ़  तेरे सितम  में है, हर  अदा तेरी  निराली है!

कमर  पर  जब  जब  तुम  गिलहरियाँ बनाती  हो
शर्म-ओ-हया से खिलती हर अंग पर सुर्ख लाली है। 

नाफ़ - ए - माशूक जैसे मोती, कभी गहरी  खाई सी
उस  पर  क़यामत  और  बढ़ाती  झूमती  बाली है। 

गोरी रंगत, हुस्न  क़ातिल, बदन संगमरमर सा उनका 
लम्बा कद, आँखे काली, होंठ पुरानी मय की प्याली है। 

उनके पहलू में  जब जब चखा जाम-ए-शराब 'कुमार'
हर  तरफ  आशिकी, हर तरफ  मौसीक़ी, बहाली है!
 #kumaarsthought #kumaarromance #kumaarerotica #erotica #erotica_hindi #बहाली_part_1 #मतवाली
जुल्फ़े  गिरे रुख़सार  पर,  अँधेरा  करने वाली हैं
तुमने चाल  मयूरी  सी, कभी नागिन  सी पाली है!
 
ज़ुल्म  करो, ज़ख्म  दो, या  सताओ  हर लम्हा तुम
लुत्फ़  तेरे सितम  में है, हर  अदा तेरी  निराली है!

कमर  पर  जब  जब  तुम  गिलहरियाँ बनाती  हो
शर्म-ओ-हया से खिलती हर अंग पर सुर्ख लाली है। 

नाफ़ - ए - माशूक जैसे मोती, कभी गहरी  खाई सी
उस  पर  क़यामत  और  बढ़ाती  झूमती  बाली है। 

गोरी रंगत, हुस्न  क़ातिल, बदन संगमरमर सा उनका 
लम्बा कद, आँखे काली, होंठ पुरानी मय की प्याली है। 

उनके पहलू में  जब जब चखा जाम-ए-शराब 'कुमार'
हर  तरफ  आशिकी, हर तरफ  मौसीक़ी, बहाली है!
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