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"मर्द" ये आंसुओ से...अपनी पलकें भिगोते नहीं, ये घ

"मर्द"

ये आंसुओ से...अपनी पलकें भिगोते नहीं,
ये घुटते तो हैं, पर खुलकर कभी रोते नहीं।
इनके आंसू बस अदृश्य होकर ही बहते हैं,
इसीलिए तो दुनियावाले इन्हें मर्द कहते हैं।

किस मिट्टी से बने हैं?क्या इन्हें दर्द होता है!
ऐसा नहीं कि...मर्द को कभी दर्द नहीं होता,
जी हाँ...होता है, मगर...ये चुपचाप सहते हैं,
इसीलिए तो...दुनियावाले इन्हें मर्द कहते हैं।

औरत तो....नाज़ुक है, कोमल है, निर्मल है,
कभी कभी कठोर, तो कभी सहज रहती है।
ये मर्द हमेशा शक्तिशाली और निडर रहते हैं,
इसीलिए तो.. दुनियावाले इन्हें मर्द कहते हैं।

इन्हें पता है,  इनके पास कोई विकल्प नहीं, 
इन्हें तो हर वक़्त, बस बहादुर ही दिखना है,
आखिर मर्द है, सबका का खयाल रखना है।
हौसला बनकर,  परिवार के साथ में रहते हैं,
इसीलिए तो...दुनियावाले इन्हें मर्द कहते हैं।

अंदर से चाहे जैसे भी हों, सिमटे या बिखरे,
मगर इन्हें बाहर से सख्त ही रहना पड़ता है,
परिस्थिति चाहे....जैसी भी हो....जो भी हो,
हां मैं ठीक हूँ, हर बार यही कहना पड़ता है।
अपने अंदर न जाने क्या क्या छुपाए रहते हैं,
इसीलिए तो...दुनियावाले इन्हें मर्द कहते हैं।

अपने अंदर के इंसान को ये भूलकर रहते हैं,
बीवी, माँ, बच्चे, रिश्तेदार....संजोय रखते हैं,
सबके बीच.... ये बस मर्द बनकर ही रहते हैं,
इसीलिए तो....दुनियावाले इन्हें मर्द कहते हैं।

©पूर्वार्थ
  #मर्द