शुक्र है शुक्र है इतना तीव्र ज्वर रहने के बावजूद, थोड़ी फीकी तो जरूर हुई है, पर चीनी अभी तक मीठी ही लग रही है। नाक थोड़ी जाम-सी है, पर सांसे चल रही हैं। गनीमत है कि घ्राण शक्ति के कम होने पर भी, पसीने में दवाईयों की गंध सूंघ पा रहा हूँ। दर्द-से टूटते बदन में भी कभी-कभार, एक असीम शांति का अनुभव कर ले रहा हूँ। अभी तक इतना खुशनसीब तो जरूर हूँ कि, ऑक्सीजन लेवल 95 पर थमा है। हाँ, श्वसनतंत्र में थोड़ा म्यूकस जरूर जमा है पर दम घोंट दे मेरा उतना भी नहीं है। थोड़ी कम ही सही भूख भी बाकी है, प्यास भी लग रही है। उबकाई आती तो है, पर होती नहीं है। डर तो जरूर लगता है, पर डरता नहीं हूँ। और हाँ, मैं चिल्लाकर कहता हूँ :- मैं एक राष्ट्रवादी हूँ। न तो मैं कभी कोरोना से पीड़ित ही हो सकता हूँ और न ही इसका वाहक ही। मुझ पे सपने में भी ऐसा इल्जाम मत लगाना, गद्दारों ! वरना, सरकार तुम्हें देखे या न देखे, कोरोना तुम्हें जरूर देख लेगा।। #dontlosehope #beoptimistic #saveyourself #stayhome #staysafe #dirtypolitics #selfishleaders