बारिश की बूंदों के संग इक आंसू छलका आंखों से, ठंडी ठंडी बौछारों के संग एक बूंद लिए ज्वाला थी, मैं समझा तुम नहीं समझी,तुम समझी, या मैं नहीं समझा,यह कैसी अनहोनी थी, रातों को बातों ने या बातों को रातों ने, खुद में खुद उलझाएं रखा, जो कल तक हर पल मेरी थी, आज महज़ इक कहानी थी। ©Harvinder Ahuja #अनसुलझी उलझन