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सफ़र आसां तो नही, मगर तुझको चलना होगा, ठोकरें खाकर

सफ़र आसां तो नही,
मगर तुझको चलना होगा,
ठोकरें खाकर फिर से,
तुझको संभलना होगा,
कोई आवाज दे अगर ,
तब भी रुकना नही है
रुख मोड़कर तुझको निकलना होगा,
कोई लगाएगा तोहमतें तो भी,
 ऐतराज नहीं करना
तुम कोई भगवान नही ये तुझको समझना होगा,
गिर कर खानी है चोट मालूम है 
अपने घाव पर मरहम खुद ही रखना होगा 
चिलचिलाती धूप के साए,
होंगे सर्द हवाओं के झोंके,
हर रुकावट से होकर तुझको गुजरना होगा,
हां तेरे मन की चंचलता बाधा बनेगी ज़रूर,
मगर अपने मन को पूर्णता स्थिर तुझे करना होगा,
अपने साए से भी नही रखनी है उम्मीद तुझे...
बस अपने भरोसे पर हर उचांई चढ़ना होगा !!

©Manvi Singh Manu
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