मिट रही हैं साँसें, अपनो की बातें, ये समय की कैसी ताक़त बंटती नही है...2 राहें खफा हैं,लोग हम-जुदा हैं, अब तो ये सारी महफ़िल ही ग़मज़दा है। इक पल को स्याही आफत टलती नही है.... मिट रही हैं साँसें,अपनों की बातें ....(1) कैसे समय ये बीते,मुश्किल घड़ी है, बढ़ती तबाही ये जो ,रस्ते खड़ी है, इक पल को काली बदरी ढलती नही है... मिट रही हैं साँसें,अपनों की बातें , ये समय की कैसी ताकत बंटती नही है...२ ©Anand Mishra #corona...tuning सागर किनारे ,दिल ये पुकारे ...