गृहस्थी बसाने में, दुनिया के साथ चलने में,सबको खुश करने में कई बार हम खुद को आहत कर लेते है।कई बार हमें पता भी नहीं होता कि जिसे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं, उसके लिए भी मन में कितना आक्रोश जमा करके बैठे हैं। किसकी बात से चोट लगी और हम तकलीफ से उबर ही नहीं पाए। जिम्मेदारी का डर, लोगों का सामना करने का डर अंजाने सब से हताहत हुए चले जाते हैं। खुद को सिद्ध करने में हम औरतें तो ज्यादा ही खींच लेती हैं खुद को। सबको खुश रखने के प्रयास से पहले स्वयं को स्वस्थ और खुश रखना जरूरी है। किसी भी बात का रोष कभी बासी मत होने देना। (Read in caption.. निकाल दो) बधाई हो।बायोप्सी की रिपोर्ट आ गई है। चिंता की कोई बात नहीं। केतकी ने फोन करके बताया। भगवान का लाख लाख शुक्र है। ये शंका तो टली। मैं तो सच में डर गई थी। इरा ने राहत की सांस ली। अच्छा रिपोर्ट तो आ गई, अब एक टी पार्टी तो बनती है मैडम। केतकी ने कहा। बिल्कुल, जब तुम्हें समय मिले। इरा ने अपनी सहमति जताई। एक काम करो, आज शाम ऑफिस से इधर ही आ जाओ। तुम्हारी बाकी रिपोर्ट्स भी देख लूंगी और तुम्हें भी कुछ पूछना था तो वो भी बातें हो जायेंगी। केतकी बोल पड़ी। वो तो ठीक है लेकिन ऑफिस से तुम तक आने में आधे घंटे से ज्यादा ही लग जायेंगे और फिर तुम्हारे क्लीनिक बंद करने का समय हो जाएगा। इरा ने अपनी बात रखी। ये तो और भी अच्छा है, एक अरसे से पुरानी बातें नहीं हुई। घर क्लीनिक के ही पीछे है,आठ बजे वहीं मिलते हैं। इत्मीनान से बातें करेंगे। केतकी ने सुझाया।