प्यार हर कोई चाहता, दर्द बाँटने क्यों नहीं आता कोई, ख़ुशी में भीड़ लगे, आँसू पोंछने क्यों नहीं आता कोई। ख़ामोशियाँ भी कैसे समझेंगे, जब सुनते ही नहीं बात, हक-होड़ में कतार, फिर थामने क्यों नहीं आता कोई। उनकी ज़िंदगी में ज़रूरी नहीं, फिर रहे हाज़िर हमेशा, उनकी जब ज़रूरत, तब सामने क्यों नहीं आता कोई। नज़रअंदाज़ियों के बाद भी ख़ुशियों का रखा है ख़याल, बेवजह ही जाते हैं दूर तो रोकने क्यों नहीं आता कोई। झूठ-दिखावे से क्यों थकता नहीं है अपना शहर 'धुन', कैसे, किससे करें बयाँ, झाँकने क्यों नहीं आता कोई। #restzone #rztask286 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #feelings #rzhindi