आज सोंचा उनपे कुछ लिखूँ जिनका अपना ही एक सफ़र था, जो मेरे ना होकर भी मेरे सब कुछ थे वक़्त की करवट ने कब दोस्ती मे इश्क जगा दिया पता ही नहीं चला,उनकीं मासूमियत में दिल बहकने लगा था, यह फिर से गुस्ताखी करने चला था। उनकीं ऑखों में खो जाने का मन करता था पर यह सब गलत था,कयोंकि उनका अपना ही एक सफ़र था। वो कब इतने जरुरी होने लगे पता ही नहीं चला,उनकीं एक आदत सी हो गयी थी। हालात तो बदलने ही थे, उनकी मंज़िल जो अलग थी।फ़िर इस दिल को एहसास होने लगा दुरियो का, जिन्हें मैंने तो नहीं चुना था,पर शायद ये उनके बहुत करीब थी। उन्हें रोकना तो चाहते थे, पर मेंरे हक में नहीं था,और शायद यह सही भी नहीं था, कयोंकि उनका अपना ही एक सफ़र था। #fewlinesfromheart