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ग़म की बारिश में भीगती रही हूं दर्द भी छलके हैं आँख

ग़म की बारिश में भीगती रही हूं
दर्द भी छलके हैं आँखों से
और दिल से उफ भी न निकले
ये तो धोखा होगा अपने जख्मों से।

©nita kumari
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