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जब जब तुम को ना समझा सकी, अपने को ही समझाया मैंने

जब जब तुम को ना समझा सकी, 
अपने को ही समझाया मैंने ।
मुस्कुराहट लबो पर रख ली, 
आंसुओ को भी छुपाया मैंने।
रूठी जो कभी किसी बात पर,
 खुद को खुद ही मनाया मैंने।
मोहब्बत ना थी लकीरों में ,
फ़िर भी बार बार आजमाया मैंने।
मलाल ना रहा किसी से भी मुझे फ़िर कोई ,
जब तारों की भीड़ में उस चांद को भी खुद सा तन्हा पाया मैंने।

©jhalli if u like my feelings , support me
जब जब तुम को ना समझा सकी, 
अपने को ही समझाया मैंने ।
मुस्कुराहट लबो पर रख ली, 
आंसुओ को भी छुपाया मैंने।
रूठी जो कभी किसी बात पर,
 खुद को खुद ही मनाया मैंने।
मोहब्बत ना थी लकीरों में ,
फ़िर भी बार बार आजमाया मैंने।
मलाल ना रहा किसी से भी मुझे फ़िर कोई ,
जब तारों की भीड़ में उस चांद को भी खुद सा तन्हा पाया मैंने।

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arishsharma2813

jhalli

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