जब जब तुम को ना समझा सकी, अपने को ही समझाया मैंने । मुस्कुराहट लबो पर रख ली, आंसुओ को भी छुपाया मैंने। रूठी जो कभी किसी बात पर, खुद को खुद ही मनाया मैंने। मोहब्बत ना थी लकीरों में , फ़िर भी बार बार आजमाया मैंने। मलाल ना रहा किसी से भी मुझे फ़िर कोई , जब तारों की भीड़ में उस चांद को भी खुद सा तन्हा पाया मैंने। ©jhalli if u like my feelings , support me