White प्यारा मास बसंत वृक्षों पर नव कोंपलें होता पतझड़ का अंत ऋतुओं का ऋतुराज है प्यारा मास बसंत हरी चादर ओढ़े धरा की शोभा न्यारी बहुरंगी प्रसूनों से सज गई हर क्यारी माँ सरस्वती की वन्दना करते साधु संत ऋतुओं का ऋतुराज है प्यारा मास बसंत वृक्षों की शाखाओं पर कोयल गान कर रही प्रकृति भी माँ सरस्वती का गुणगान कर रही प्रात होते भानु रश्मि आतीं भू पे तुरंत ऋतुओं का ऋतुराज है प्यारा मास बसंत सन- सन करती मनोहर मलय समीर बह रही चूँ- चूँ करती चिड़िया मनोहर राग कह रही इन्द्रधनुष रंग से रंगा आसमान अनंत ऋतुओं का ऋतुराज है प्यारा मास बसंत रिमझिम- रिमझिम बरसात की बूँदें गिरती हैं सभी जीवों की आत्मा को तृप्त करती हैं मनभावन, सुन्दर मौसम भाता अति हेमंत ऋतुओं का ऋतुराज है प्यारा मास बसंत दूर तक दिखती हरियाली ही हरियाली है मधुर तान में गा रही कोयल मतवाली है सूखी तरूवर की डाली हो जाती जीवंत ऋतुओं का ऋतुराज है प्यारा मास बसंत स्वरचित रचना-राम जी तिवारी "राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari #Nature #poem #NatureBeauty #Spring