नज़र में नफ़रतें लेकर, ज़बाँ से ज़हर उगलते है यहाँ कुछ लोग औरों की तरक्की से जो जलते है ना चलते हैं, ना रुकते है, ना थमते है, ना ठहरते है ये वो पत्थर है जो ठोकर भी खाकर नहीं सँभलते है #मनीष_के_मुक्तक नज़र में नफ़रतें लेकर, ज़बाँ से ज़हर उगलते है यहाँ कुछ लोग औरों की तरक्की से जो जलते है ना चलते हैं ना रुकते है, ना थमते है, ना ठहरते है ये वो पत्थर है जो ठोकर भी खाकर नहीं सँभलते है ©मनीष रोहित गराई✍