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वही मिट्टी, वही राज भवन है, वही राज भवन में बैठे ल

वही मिट्टी, वही राज भवन है,
वही राज भवन में बैठे लोग हैं।
उन्ही इंसानी लोगों के बीच,
द्रोपदी, आज भी लूट रही है !

कोई कह रहा है,
मैं आऊंगा तो सब बदल जाएगा।
कोई कह रहा है,
मैं आया तो सब बदल गया है।

भूल जाते हैं वो पुराने दिन,
भूल जाते हैं वो पुराने घोषणाएं।
तब भी सीना ठोक कर यही कहा था,
आज भी सीना ठोक कर यही कह रहे।

द्रोपदी के दिन न कल बहुरे थे,
द्रोपदी के दिन न आज बहुरे है।
वह कल भी एक अबला थी,
वह आज भी एक अबला ही है।

उसकी साड़ी उसका सम्मान कल भी,
भरे दरबार में अपनो से खींची गई थी।
उसकी साड़ी उसका सम्मान आज भी,
सरे आम अपनो से ही खिंची जा रही है।

ऐ द्रोपदी, तुम भी जिद्द छोड़ यह मान लो,
कलियुग चल रहा, बचाने न आयेगा कोई कान्हा।
इस कलियुग में रावण, दुर्योधन, दुशासन से ज्यादा,
राम, कान्हा के रुप में छिपे भेड़ियों से लड़ना होगा।
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

©AJAY NAYAK #द्रोपदी आज भी लूट रही है !
#नारी #द्रोपदी 
द्रोपदी आज भी लूट रही है !

वही मिट्टी, वही राज भवन है,
वही राज भवन में बैठे लोग हैं।
उन्ही इंसानी लोगों के बीच,
द्रोपदी आज भी लूट रही है !
ajaynayak1166

AJAY NAYAK

Silver Star
New Creator

#द्रोपदी आज भी लूट रही है ! #नारी #द्रोपदी द्रोपदी आज भी लूट रही है ! वही मिट्टी, वही राज भवन है, वही राज भवन में बैठे लोग हैं। उन्ही इंसानी लोगों के बीच, द्रोपदी आज भी लूट रही है !

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