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एक जुनून सा सर चढ़ा है अब कहीं और मन कहां लगता है

एक जुनून सा सर चढ़ा है
अब कहीं और मन कहां लगता है 
रोज़ सूरज से पहली मुलाक़ात मै करता हूं
और चांद मेरे सोने का इंतज़ार करता है।


 #जुनून
एक जुनून सा सर चढ़ा है
अब कहीं और मन कहां लगता है 
रोज़ सूरज से पहली मुलाक़ात मै करता हूं
और चांद मेरे सोने का इंतज़ार करता है।


 #जुनून