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न मैं मीरा बनी न ही राधा बनी, देखो बस रह गयी बनके

न मैं मीरा बनी न ही राधा बनी,
देखो बस रह गयी बनके मैं रुक्मणि।
साथ उनका रहा बस घड़ी दो घड़ी।
नाम उनका हुआ रह गयी मैं पड़ी।

आज देखो बने है सदन ही सदन,
साथ राधा ही कृष्णा के संग में खड़ी।
दोष मेरा था क्या ये बता दो सभी।
द्वारिका में क्यों अकेले पड़ी रह गयी।

©HINDI SAHITYA SAGAR
  #Hope