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रक्षाबंधन (कहानी) भाग २ (अन्तिम भाग) (अनुशीर्षक

रक्षाबंधन (कहानी)
भाग २ (अन्तिम भाग)


(अनुशीर्षक में पढ़ें)             सुरभि लॉकडाउन की वजह से रोहन की शादी पे नहीं जा पाई थी।
            शाम तक सौरभ और सुबह रोहन भी परिवार के साथ पहुँच गया था। सुरभि बहुत खुश थी। 
            नाश्ता वगैरह कर के महेश जी, सुरभि के पति ऑफिस चले गये और बेटा स्कूल। सुरभि की ननद की राखी तो आ चुकी थी। परिवार की व्यस्तता की वजह से वो आ नहीं पाती थी।
           अब घर में सुरभि, अरण्य, गोविन्द, सौरभ और रोहन थे। सब ने नाश्ता किया और घूमने चलने का फैसला किया।  राखी का सामान भी लेना था।
            सुरभि ने बेटे को स्कूल से लिया और सब मिल कर बाज़ार चल दिये। बाज़ार थोड़ा घूमे, खाना खाया और खरीददारी करके महेश जी के आने से पहले वापिस आ गये।
             आज घर में पहले की तरह शान्ति नहीं थी। बहुत चहल पहल थी। अच्छा लग रहा था अपने भाइयों को पहली बार मिल कर। बच्चों की तरह कभी लड़ रहे , कभी हंस रहे और कभी बच्चों की तरह शिकायत करते। सुरभि बहुत खुश थी। उसके दिल को बहुत सुकून मिल रहा था।
               खाना वगैरह खा के सब थोड़ी देर बातें करते रहे। फिर सो सब सो गये। थके हुए तो थे ही, लेटते ही सबको नींद आ गई।
               सुबह सुरभि ने नहा-धो के जल्दी ही खाना बनाया। फिर सब को उठाया। सब तैयार हो गये। सुरभि ने राखी की रस्म पूरी की। सुरभि की आँखों में आँसू थे। सुरभि ही नहीं चारों भाइयों की आँखों में भी आँसू थे।
रक्षाबंधन (कहानी)
भाग २ (अन्तिम भाग)


(अनुशीर्षक में पढ़ें)             सुरभि लॉकडाउन की वजह से रोहन की शादी पे नहीं जा पाई थी।
            शाम तक सौरभ और सुबह रोहन भी परिवार के साथ पहुँच गया था। सुरभि बहुत खुश थी। 
            नाश्ता वगैरह कर के महेश जी, सुरभि के पति ऑफिस चले गये और बेटा स्कूल। सुरभि की ननद की राखी तो आ चुकी थी। परिवार की व्यस्तता की वजह से वो आ नहीं पाती थी।
           अब घर में सुरभि, अरण्य, गोविन्द, सौरभ और रोहन थे। सब ने नाश्ता किया और घूमने चलने का फैसला किया।  राखी का सामान भी लेना था।
            सुरभि ने बेटे को स्कूल से लिया और सब मिल कर बाज़ार चल दिये। बाज़ार थोड़ा घूमे, खाना खाया और खरीददारी करके महेश जी के आने से पहले वापिस आ गये।
             आज घर में पहले की तरह शान्ति नहीं थी। बहुत चहल पहल थी। अच्छा लग रहा था अपने भाइयों को पहली बार मिल कर। बच्चों की तरह कभी लड़ रहे , कभी हंस रहे और कभी बच्चों की तरह शिकायत करते। सुरभि बहुत खुश थी। उसके दिल को बहुत सुकून मिल रहा था।
               खाना वगैरह खा के सब थोड़ी देर बातें करते रहे। फिर सो सब सो गये। थके हुए तो थे ही, लेटते ही सबको नींद आ गई।
               सुबह सुरभि ने नहा-धो के जल्दी ही खाना बनाया। फिर सब को उठाया। सब तैयार हो गये। सुरभि ने राखी की रस्म पूरी की। सुरभि की आँखों में आँसू थे। सुरभि ही नहीं चारों भाइयों की आँखों में भी आँसू थे।
juhigrover8717

Juhi Grover

New Creator

सुरभि लॉकडाउन की वजह से रोहन की शादी पे नहीं जा पाई थी। शाम तक सौरभ और सुबह रोहन भी परिवार के साथ पहुँच गया था। सुरभि बहुत खुश थी। नाश्ता वगैरह कर के महेश जी, सुरभि के पति ऑफिस चले गये और बेटा स्कूल। सुरभि की ननद की राखी तो आ चुकी थी। परिवार की व्यस्तता की वजह से वो आ नहीं पाती थी। अब घर में सुरभि, अरण्य, गोविन्द, सौरभ और रोहन थे। सब ने नाश्ता किया और घूमने चलने का फैसला किया। राखी का सामान भी लेना था। सुरभि ने बेटे को स्कूल से लिया और सब मिल कर बाज़ार चल दिये। बाज़ार थोड़ा घूमे, खाना खाया और खरीददारी करके महेश जी के आने से पहले वापिस आ गये। आज घर में पहले की तरह शान्ति नहीं थी। बहुत चहल पहल थी। अच्छा लग रहा था अपने भाइयों को पहली बार मिल कर। बच्चों की तरह कभी लड़ रहे , कभी हंस रहे और कभी बच्चों की तरह शिकायत करते। सुरभि बहुत खुश थी। उसके दिल को बहुत सुकून मिल रहा था। खाना वगैरह खा के सब थोड़ी देर बातें करते रहे। फिर सो सब सो गये। थके हुए तो थे ही, लेटते ही सबको नींद आ गई। सुबह सुरभि ने नहा-धो के जल्दी ही खाना बनाया। फिर सब को उठाया। सब तैयार हो गये। सुरभि ने राखी की रस्म पूरी की। सुरभि की आँखों में आँसू थे। सुरभि ही नहीं चारों भाइयों की आँखों में भी आँसू थे। #कहानी #भाई #yqdidi #yqhindi #वास्तविकता #रक्षाबंधन #bestyqhindiquotes #भाग२