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आंखों में नींद नहीं फिर भी ख्वाब बुनता हूं होठों प

आंखों में नींद नहीं फिर भी ख्वाब बुनता हूं
होठों पर हंसी नहीं फिर भी खुशी चुनता हूं
माना की ग़म से दो चार हुई है जिंदगी अभी 
उसी ग़म की महफ़िल में अब मैं झुमा करता हूं

©Sonu Kumar
  #gaalib #m4manish #Zaalizajbaat