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देखो बंट रहा है घर, बंट रहा है भाई-भाई। हक़ न अपना

देखो बंट रहा है घर, बंट रहा है भाई-भाई।
हक़ न अपना छोड़ता रहता लेके  पाई-पाई।
अपनों से रुसवाई और ग़ैर की करे दुहाई।
हक़ न दे जो माता-पिता करता उनसे है लड़ाई।
                   -शैलेन्द्र राजपूत

©HINDI SAHITYA SAGAR
  #brothers
देखो बंट रहा है घर, बंट रहा है भाई-भाई।
हक़ न अपना छोड़ता रहता लेके  पाई-पाई।
अपनों से रुसवाई और ग़ैर की करे दुहाई।
हक़ न दे जो माता-पिता करता उनसे है लड़ाई।
                   -शैलेन्द्र राजपूत
#Hindi

#brothers देखो बंट रहा है घर, बंट रहा है भाई-भाई। हक़ न अपना छोड़ता रहता लेके पाई-पाई। अपनों से रुसवाई और ग़ैर की करे दुहाई। हक़ न दे जो माता-पिता करता उनसे है लड़ाई। -शैलेन्द्र राजपूत #Hindi #कविता

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