जाने कैसी बीएड कॉलेजो की व्यवस्था है मैनेजमेंट को सिर्फ नोटों में ही आस्था है लम्बे-लम्बे लुभावने ईमारते हैं लम्बी- लम्बी कागजी बाते हैं बुनियाद जहाँ खड़ी हो नोटों पर भला कैसा शिक्षक निर्माण हो जब प्रशिक्षण के नाम से व्यापार हो इन्हें प्रशिक्षु से कोई मोह नहीं ना कोई विचार हैं कागजो पर ही कक्षाएं चलती कागजो पर ही उपिस्थिति बनती प्रशिक्षुगण भी हैं मजबूर अब उनका भला क्या कसूर कैसे करेंगे वो छात्र-निर्माण जब स्वयं के आदर्शो से हीं हो वो अनजान--अभिषेक राजहंस शीर्षक-- जाने कैसी बीएड कॉलेजो की व्यवस्था है.