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ये झूठ बिल्कुल नहीं सपने देखे थे मैंने कई, जिन्ह

ये झूठ बिल्कुल नहीं 

सपने देखे थे मैंने कई, जिन्हे पूरा ना मैं कभी कर सकी
दिल की हर बात, मैंने दिल में ही रखी 

संघर्षो का दौर रहा सदा, हर उम्मीद दी थी मैंने छोड़
मुश्किलों से भरा था, ज़िंदगी का हर इक मोड़ 

फ़िर करा इक दिन मैंने कुछ ऐसा, तोड़ दिए बंधन मैंने सारे 
अपने आत्मविश्वास से मैंने, ख़ुद ही अपने दिन संवारे 

ना अब आँखों में आँसू हैं मेरे, आस भी नहीं अब किसी से 
अपनों का साथ मिला मुझे भरपूर, मिले मुझे वो बड़े सौभाग्य से 

मेहनत करने से डरती नहीं मैं, जो भी हुआ बुरा, उसे मैं भूल गई 
अपने जज़्बे से, इंसान बन गई मैं बिल्कुल नई 

गुलाम नहीं मैं किसी की, किसी पर निर्भर मैं नहीं 
देर आए दुरुस्त आए, ये झूठ बिल्कुल नहीं

©Poonam Suyal #rush 
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