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मैं चांदनी को बाहें फैला कर उसको अपने पास बुलाया।

मैं चांदनी को बाहें फैला कर 
उसको अपने पास बुलाया।
उसने कहा अगर मैं तेरे पास आ गई 
तो शायर की शायरी का क्या होगा।
आशिक़ के आशिक़ी का क्या होगा।
मुझ में छिपा मोहब्बत के परछाई का क्या होगा।
तेरे अंदर मुझे पाने की तड़प का क्या होगा।
कहते है जब चाहत अधूरी रह जाती है।
उसके लिए वह निखर जाता या बिखर जाता है।

©मुसाफिर
  #चाहते