खुशियों के हाट उजाडे जा रहे हैँ और अश्रु के व्यवसाय किये जा रहे हैँ विकसित हो चुकी हताशा की हवाएं चल रही हर दिशा मे और झूठी सांत्वनाओ से समाधान दीये जा रहे हैँ ©Parasram Arora सांत्वना.....