वह भी कोई वकत था जब सारे दोसत साथ बेठा करते थे और आज उनके पास टाईम ही नही है हम से बात करने का वह बोलते ह की तुम बेकार हो फालतु बात करते हो ओल फरेडस कभीभी दोसतो को गलत मत समजना कया पता उनकी भी कोई मजबुरी होगी शायद वह हमे दिल से बहुत पयार करते होगे कभी दोसत गलत नही होते भवानी शंकर जाट शायद दोसत किसी के नशीब मेही ना है