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हारता तो हर कोई है मगर सबने हार से इंकार किआ, कोई

हारता तो हर कोई है मगर सबने हार से इंकार किआ, 
कोई रिश्तो के लिए हारा है तो कोई रिश्तो से हार गया
दोस्तो से  हारे तो खुशी बने, दुश्मनो से हारे तो सम्मान गया।
कोई मांग से हारा है तो कोई महंगाई से हार गया,
बढ़ते इस भ्र्ष्टाचार में कोई रिश्वतखोरी से हार गया,
किसी को हालातो ने हराया, किसी को बातों ने हराया,
किसी को बहते हुए उसके जाजज्बातो ने हराया,
पूछो उस बाप के आंसुओ से कितना हार गया वो,
जब उसने अपनी प्यारी लालड़ली को ब्याहया
दहेज़ के लोभियों ने उसे किस चाल से हराया,
वो बहार से तो रुका नहीं पर अंदर से हार गया ।
अपने प्रेमी के कोई लम्बे इंतजार मे हारा,
दिल देके अपना वो मुहोब्बत मे हार गया,
कोई राधा बन कर हार गयी कोई मीरा बन कर हर गयी,
चुप बैठा सोचे बंसीवाला मैं कृष्ण बनकर हार गया,
सारी दुनिया जिसके वश मे थी वो अक्सर प्रेम मे हार गया ।
हारता तो हर कोई है मगर सबने हार से इंकार किआ ।

©Sumit Khanna
  हारता तो हर कोई है मगर
sumitkhanna6733

Sumit Khanna

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हारता तो हर कोई है मगर #शायरी

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