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शब्द (दोहे) शब्द मिलें जब भी मुझे, करता यही विचार

शब्द (दोहे)

शब्द मिलें जब भी मुझे, करता यही विचार।
क्या बखान अब मैं करूँ, पूरे हों उद्गार।।

जोड़-जोड़ कर शब्द को, देता मैं आयाम।
राज हृदय में वह करे, हो मेरा भी नाम।।

जन जन तक पहुँचे कभी, ये मेरे अरमान।
पुस्तक का मैं रूप दूँ, शब्दों में उत्थान।।

शब्दों की माया बड़ी, ये सबको अनुमान।
कुछ इससे हैं सीखते, पाते भी सम्मान।।

गलत तरीके से करें, शब्दों का उपयोग।
होता भी नुकसान है, कब समझेंगे लोग।।

झगड़ों का कारण यही, अब समझो नादान।
शब्दों का यह जाल है, कहते सभी सुजान।।

शब्दों से जो खेलते, उनको ही है बोध।
उचित चयन उसका करें, करते देखो शोध।।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit
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शब्द (दोहे)

शब्द मिलें जब भी मुझे, करता यही विचार।
क्या बखान अब मैं करूँ, पूरे हों उद्गार।।

जोड़-जोड़ कर शब्द को, देता मैं आयाम।
deveshdixit4847

Devesh Dixit

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